केंद्र सरकार ने UPS (Unified Pension Scheme) को दी मंजूरी: 23 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा लाभ, 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी

Cabinet approves Unified Pension Scheme
Cabinet approves Unified Pension Scheme

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार ने नई पेंशन योजना (NPS) के स्थान पर Unified Pension Scheme (UPS) को मंजूरी दी है। इस योजना की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 24 अगस्त को एक प्रेस वार्ता में दी। UPS को 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। इस योजना से करीब 23 लाख केंद्रीय कर्मचारी लाभान्वित होंगे।

कर्मचारियों को अब UPS और NPS के बीच अपनी पेंशन योजना चुनने का विकल्प दिया जाएगा। राज्य सरकारें भी इस योजना को अपनाने का निर्णय ले सकती हैं, जिससे UPS के तहत लाभान्वित कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 90 लाख तक पहुंच सकती है।

UPS की 5 बड़ी बातें: जानें नई पेंशन योजना के प्रमुख लाभ

  1. पेंशन की गारंटी:
    UPS के तहत, कर्मचारी को रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों की बेसिक सैलरी का औसत 50% एश्योर्ड पेंशन के रूप में मिलेगा। यह पेंशन केवल उन कर्मचारियों को प्राप्त होगी जिन्होंने 25 साल की सेवा पूरी की है। यदि किसी कर्मचारी की सेवा 25 साल से कम लेकिन 10 साल से अधिक है, तो उन्हें कम पेंशन मिलेगी।
  2. एश्योर्ड फैमिली पेंशन:
    UPS के अंतर्गत, यदि कर्मचारी की मौत होती है, तो उसकी पेंशन, जो उसके रिटायरमेंट के समय बनती, उसका 60% परिवार को फैमिली पेंशन के रूप में मिलेगा। यह पेंशन परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी।
  3. एश्योर्ड मिनिमम पेंशन:
    यदि कर्मचारी की सेवा 10 साल से कम है, तो भी उसे कम से कम 10,000 रुपये मासिक पेंशन मिलेगी। मौजूदा महंगाई दर को ध्यान में रखते हुए, यह राशि वर्तमान में करीब 15,000 रुपये होगी।
  4. डियरनेस रिलीफ (DR):
    इन सभी पेंशनों पर महंगाई के आधार पर DR (डियरनेस रिलीफ) का भुगतान किया जाएगा। यह DR ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स (AICPI-W) पर आधारित होगा, जो पेंशनधारकों को महंगाई से बचाव का साधन प्रदान करेगा।
  5. लमसम भुगतान:
    UPS के तहत, किसी कर्मचारी को उसकी नौकरी के आखिरी 6 महीनों की सैलरी और भत्तों का एक लमसम अमाउंट भी दिया जाएगा। यह राशि कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय एकमुश्त भुगतान के रूप में मिलेगी, जो उसके भविष्य को सुरक्षित करने में मदद करेगी।

Unified Pension Scheme (UPS) में पेंशनधारकों के लिए पेंशन की गारंटी, फैमिली पेंशन, और मिनिमम पेंशन की सुविधाएं दी गई हैं। इसके साथ ही, महंगाई के हिसाब से DR का प्रावधान भी किया गया है, जिससे पेंशनधारकों को आर्थिक सुरक्षा मिलती रहेगी। UPS के ये लाभ इसे एक सुरक्षित और आकर्षक पेंशन योजना बनाते हैं।


UPS और NPS के बीच अंतर

केंद्रीय सचिवालय के OSD टीवी सोमनाथन ने UPS के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक पूरी तरह से कॉन्ट्रिब्यूटरी फंडेड स्कीम है, जिसमें कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 10% योगदान देना होगा, जबकि सरकार 18.5% का योगदान करेगी। UPS में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) और NPS दोनों के लाभों का मिश्रण किया गया है, जिससे कर्मचारियों को स्थिर और सुरक्षित पेंशन का लाभ मिलेगा।

जबकि पुरानी पेंशन योजना (OPS) एक अनफंडेड योजना थी, जिसमें कर्मचारी से कोई योगदान नहीं लिया जाता था। दूसरी ओर, नई पेंशन योजना (NPS) में कर्मचारी को 10% योगदान देना होता है, और सरकार 14% का योगदान करती है। UPS में सरकार का योगदान बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है।


पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) और नई पेंशन स्कीम (NPS) में अंतर

1. पेंशन का आधार:

  • पुरानी पेंशन स्कीम (OPS):
    इस स्कीम के तहत, कर्मचारी को रिटायरमेंट के समय उसकी अंतिम वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। इसमें पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती है, और सरकार के राजकोष से पेंशन का भुगतान किया जाता है।
  • नई पेंशन स्कीम (NPS):
    इसमें कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए (महंगाई भत्ता) का 10% हिस्सा पेंशन फंड में कटता है। NPS शेयर बाजार पर आधारित होने के कारण यह पेंशन स्कीम पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, और रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं होती है।

2. ग्रेच्युटी और मृत्यु पर लाभ:

  • OPS:
    इस स्कीम में कर्मचारी को 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी मिलती है। रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है, जिससे उनके परिवार की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसमें जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) का भी प्रावधान है।
  • NPS:
    NPS में रिटायरमेंट के बाद पेंशन प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को अपने NPS फंड का 40% हिस्सा निवेश करना होता है। इसमें ग्रेच्युटी और मृत्यु पर लाभ OPS जितना सुनिश्चित नहीं है।

3. महंगाई भत्ता (DA):

  • OPS:
    पुरानी पेंशन स्कीम में महंगाई भत्ते (DA) का प्रावधान है, जो हर छह महीने बाद पेंशनधारकों को मिलता है। इससे पेंशनधारक महंगाई के प्रभाव से सुरक्षित रहते हैं।
  • NPS:
    NPS में महंगाई भत्ते का कोई प्रावधान नहीं है। इस कारण से महंगाई बढ़ने पर पेंशनधारकों को इसका सामना करना पड़ सकता है।

4. टैक्स और निवेश:

  • OPS:
    इसमें पेंशनधारक को टैक्स से छूट मिलती है, क्योंकि पेंशन सीधे सरकार के राजकोष से दी जाती है।
  • NPS:
    NPS में शेयर बाजार आधारित निवेश होने के कारण, यहां टैक्स का भी प्रावधान है, जो पेंशनधारक की आय पर निर्भर करता है।

OPS और NPS में महत्वपूर्ण अंतर हैं, जिनमें पेंशन की सुरक्षा, महंगाई भत्ता, टैक्स, और परिवार के लिए मिलने वाले लाभ शामिल हैं। जहां OPS में सरकार द्वारा पूरी पेंशन गारंटी दी जाती है, वहीं NPS बाजार आधारित होने के कारण इसमें जोखिम और अनिश्चितता भी शामिल है।


UPS का प्रभाव और लागत

टीवी सोमनाथन के अनुसार, NPS के तहत 2004 से अब तक रिटायर हो चुके और मार्च 2025 तक रिटायर होने वाले कर्मचारियों को भी UPS का लाभ मिलेगा। पहले प्राप्त फंड या भुगतान को समायोजित करके इसका भुगतान किया जाएगा।

सरकार द्वारा किए गए अतिरिक्त योगदान के कारण UPS के पहले साल में लगभग 6250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा, जो हर साल बढ़ता रहेगा।

UPS की मंजूरी से पहले प्रधानमंत्री की बैठक

कैबिनेट बैठक से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय कर्मचारियों के नेताओं के साथ एक बैठक की, जिसमें पुरानी पेंशन योजना (OPS), नई पेंशन योजना (NPS), और UPS को लेकर चर्चा की गई। यह बैठक विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री और केंद्रीय कर्मचारियों की नेशनल काउंसिल (JCM) के सदस्य भी शामिल हुए थे। इस बैठक के दौरान 8वें वेतन आयोग को लेकर भी चर्चा की गई।

OPS के बहाली की मांग और AIDEF का असंतोष

ऑल इंडिया डिफेंस एम्प्लॉई फेडरेशन (AIDEF) जैसे बड़े संगठनों ने UPS को लेकर असंतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि वे केवल OPS की बहाली चाहते हैं और UPS से संतुष्ट नहीं हैं। AIDEF ने 1 मई 2024 को अनिश्चितकालीन हड़ताल की योजना बनाई थी, जिसे सरकार से मिले चर्चा के आश्वासन के बाद टाल दिया गया।

UPS का भविष्य

Unified Pension Scheme (UPS) से केंद्रीय कर्मचारियों को पेंशन के मामले में एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य का आश्वासन मिलता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि UPS कर्मचारियों की आवश्यकताओं को कैसे पूरा करती है और क्या यह पेंशन सुधार के लिए एक स्थायी समाधान बन सकती है।

जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM)

जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी (JCM) एक ऐसा मंच है, जो केंद्र सरकार और उसके कर्मचारियों के बीच संवाद स्थापित करने और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कार्य करता है। इसे 1966 में स्थापित किया गया था, और इसका उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और समन्वय करना है, ताकि कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान समय पर और प्रभावी ढंग से किया जा सके। JCM एक गैर-वैधानिक निकाय है, जिसमें केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं, जो कर्मचारियों की आवाज़ को सुने जाने और उनके मुद्दों के समाधान में सहायक होते हैं।

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