नाथूराम गोडसे: उनकी सोच और गांधी जी की हत्या की वजहें
नाथूराम गोडसे का नाम भारतीय इतिहास में गांधी के हत्यारे के रूप में दर्ज है। उनके जीवन और उनके द्वारा उठाए गए इस कदम को समझने के लिए हमें उनके विचारों और सोच की गहराई में जाना होगा। गोडसे का मानना था कि गांधी की नीतियों ने भारत को बहुत हानि पहुँचाई थी। आइए, उनके दृष्टिकोण और विचारों की जाँच करें।
1. अहिंसा और हिंदू-मुस्लिम एकता पर गोडसे का विचार
गोडसे ने गांधी की अहिंसा की नीति की तीव्र आलोचना की। उनके अनुसार, गांधी जी की यह नीति केवल हिंदुओं पर ही लागू होती थी और इससे हिंदू समाज कमजोर हो गया। वे मानते थे कि जब देश के मुसलमान हिंसा कर रहे थे, तो हिंदुओं को आत्मरक्षा में जवाब देने का अधिकार होना चाहिए था। गोडसे का तर्क था कि गांधी जी के द्वारा हिंदुओं पर अहिंसा को थोपा गया, जिससे वे अपने अधिकारों और आत्म-संरक्षण के लिए संघर्ष नहीं कर पाए।
2. मुस्लिम तुष्टिकरण और पाकिस्तान का निर्माण
गोडसे का आरोप था कि गांधी ने मुसलमानों के तुष्टिकरण के लिए हिंदुओं के हितों की उपेक्षा की। वे मानते थे कि गांधी जी के मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के कारण ही पाकिस्तान का निर्माण संभव हो पाया। गोडसे ने इस विभाजन को हिंदू समाज के लिए एक बड़ा संकट माना और इसे गांधी जी की नीतियों का परिणाम बताया। उनका यह भी कहना था कि गांधी जी ने विभाजन के बाद भी पाकिस्तान को आर्थिक सहायता देने का समर्थन किया, जिससे भारत के हितों को ठेस पहुँची।
3. खिलाफत आंदोलन और उसकी आलोचना
गोडसे ने गांधी जी के खिलाफत आंदोलन के समर्थन की भी आलोचना की। उनके अनुसार, गांधी जी ने इस आंदोलन का समर्थन करके मुसलमानों को खुश करने की कोशिश की, जबकि इसका भारत की स्वतंत्रता संग्राम से कोई लेना-देना नहीं था। गोडसे का मानना था कि इस आंदोलन ने हिंदू-मुस्लिम एकता को और कमजोर किया और धार्मिक भावनाओं को उभारने का काम किया।
4. विभाजन के बाद हिंदुओं की स्थिति
गोडसे का मानना था कि विभाजन के बाद भी गांधी जी का रवैया हिंदुओं के प्रति अन्यायपूर्ण रहा। वे आरोप लगाते थे कि गांधी जी ने पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं की स्थिति को नजरअंदाज किया और उनके पुनर्वास के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए। इसके विपरीत, वे मुसलमानों के लिए विशेष अधिकारों की मांग करते रहे, जिससे हिंदू समाज में असंतोष बढ़ा।
5. भारत की रक्षा नीति और गांधी जी की भूमिका
गोडसे का विचार था कि गांधी की नीतियों ने भारत की रक्षा नीति को कमजोर किया। उनके अनुसार, गांधी जी का अहिंसावादी दृष्टिकोण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक था। वे मानते थे कि एक सशस्त्र बल की आवश्यकता थी, जो भारत को आंतरिक और बाहरी खतरों से बचा सके, लेकिन गांधी जी के विचारों के कारण यह संभव नहीं हो पाया।
6. गांधी जी की मृत्यु और गोडसे की सोच
नाथूराम गोडसे के लिए गांधी की हत्या एक अनिवार्य कदम था। वे इसे एक ऐसा कृत्य मानते थे जो हिंदू समाज और भारत की रक्षा के लिए आवश्यक था। उनके अनुसार, गांधी जी की मृत्यु के बाद ही भारत में वास्तविक स्वतंत्रता आ सकती थी और हिंदू समाज अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ सकता था।
7. गोडसे का आत्म-बलिदान का विचार
गोडसे ने गांधी जी की हत्या के बाद खुद को आत्मसमर्पण कर दिया और इस कार्य को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य बताया। उनका मानना था कि उन्होंने अपने धर्म और देश के लिए यह बलिदान दिया। वे यह मानते थे कि गांधी जी की हत्या से हिंदू समाज को जागरूक किया जा सकेगा और उसे आत्मरक्षा के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।
8. गोडसे का विचारधारात्मक संघर्ष
गोडसे का जीवन और उनके विचारधारा गांधी की नीतियों के खिलाफ एक प्रकार का संघर्ष था। उनका मानना था कि गांधी जी की नीतियाँ हिंदू समाज के लिए नुकसानदायक थीं और उनके विचारों के विरुद्ध संघर्ष करना आवश्यक था। गोडसे ने अपने इस विचारधारात्मक संघर्ष को अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया और इसके लिए उन्होंने गांधी की हत्या को सही ठहराया।
9. अंतिम विचार
नाथूराम गोडसे का जीवन और उनकी सोच भारत के इतिहास का एक विवादास्पद अध्याय है। उन्होंने गांधी की हत्या को अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए अनिवार्य माना। हालाँकि, उनके इस कृत्य की व्यापक निंदा की गई, फिर भी उनके विचारों को समझना इतिहास की जटिलताओं को समझने के लिए आवश्यक है।
10. गोडसे की सोच पर समाज का प्रभाव और उनकी आलोचना
नाथूराम गोडसे के विचार और उनके द्वारा उठाए गए कदम ने समाज में विभाजन और व्यापक बहस को जन्म दिया। एक तरफ, कुछ लोग उनके विचारों को भारतीय समाज के एक वर्ग की निराशा और असंतोष के रूप में देखते हैं, वहीं दूसरी तरफ, उनकी आलोचना इस बात के लिए की जाती है कि उन्होंने हिंसा को एक वैध माध्यम के रूप में चुना। गोडसे की सोच ने भारतीय राजनीति और समाज में चरमपंथी विचारों की ओर झुकाव को भी उजागर किया। उनकी आलोचना मुख्य रूप से इस बात पर आधारित थी कि हिंसा और हत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती, और गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों के खिलाफ उनका यह कदम भारतीय मूल्यों के खिलाफ था।