संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शुक्रवार को परिवीक्षाधीन आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की, इसमें फर्जी पहचान के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के आरोप में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिकायत के बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और दिव्यांगता संबंधी कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है। आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने से रोकने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी किया। मामला दर्ज होने से पहले आयोग ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा कि यूपीएससी ने सिविल सेवा परीक्षा-2022 के लिए चयनित उम्मीदवार पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के संबंध में विस्तृत और गहन जांच की है। जांच से पता चला है कि खेडकर ने अपना नाम, अपने माता-पिता का नाम, अपनी तस्वीर/हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आइडी, मोबाइल नंबर और पता बदलकर पहचान छिपाई और परीक्षा नियमों के तहत अनुमेय सीमा से अधिक प्रयासों का लाभ उठाया। यूपीएससी ने खेडकर के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराके आपराधिक मुकदमा चलाने सहित कई कार्रवाई शुरू की हैं। आयोग ने कहा कि वह अपने संवैधानिक दायित्वों को पूरा करने में सख्ती से मानदंडों का पालन करता है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) 2023 बैच की अधिकारी खेडकर पर हाल में पुणे में अपने प्रशिक्षण के दौरान विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने और सिविल सेवा में चयन के लिए फर्जी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करने का आरोप लगा था। खेडकर पर एक निजी कार पर लाल-नीली बत्ती लगाकर रौब गांठने का आरोप है और उपयोग की जा रही कार पर ‘महाराष्ट्र शासन’ भी लिखा हुआ था। पुणे के जिला कलेक्टर द्वारा मामला उठाए जाने के बाद खेडकर को विदर्भ क्षेत्र के वाशिम जिला कलेक्टर कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। बयान में कहा गया है कि यूपीएससी ने जनता, खासकर अभ्यर्थियों से उच्च स्तर का विश्वास और विश्वसनीयता अर्जित की है। वहीं, पुणे की एक सत्र अदालत ने विवादास्पद परिवीक्षाधीन आइएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर को 25 जुलाई तक गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है। यह संरक्षण उस मामले में दिया गया है जिसमें उन पर एक भूमि विवाद को लेकर एक व्यक्ति को पिस्तौल दिखाकर धमकाने का आरोप है। पूजा खेडकर सिविल सेवा परीक्षा के समय दिए गए दिव्यांगता और ओबीसी प्रमाण पत्र को लेकर सवालों के घेरे में हैं। इस मामले की जांच को लेकर केंद्र ने 11 जुलाई को एक सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था।