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US returns 297 stolen Indian antiquities during PM Modi's visit[/caption]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत को 297 चुराई गईं भारतीय प्राचीन वस्तुएं वापस की गईं। ये पुरावशेष भारत की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं और उसकी सभ्यता की गहराई को दर्शाते हैं। पीएम मोदी ने इस महत्वपूर्ण कदम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन का आभार व्यक्त किया और इसे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सहयोग का प्रतीक बताया।

अमेरिका और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध मजबूत
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के एक आधिकारिक बयान में कहा गया, “प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, अमेरिका ने 297 पुरावशेषों को भारत को वापस लौटाने की व्यवस्था की। ये पुरावशेष भारत से चोरी कर तस्करी के जरिए बाहर ले जाई गईं थीं।” पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस खबर को साझा करते हुए कहा, "हमारी सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने में मदद और अवैध सांस्कृतिक संपत्ति की तस्करी के खिलाफ संघर्ष को मजबूत करने के लिए मैं राष्ट्रपति बाइडेन और अमेरिकी सरकार का अत्यंत आभारी हूं।" उन्होंने राष्ट्रपति बाइडेन के साथ उन पुरावशेषों की तस्वीरें भी साझा कीं, जो अमेरिका ने भारत को लौटाए। मोदी ने जोर देते हुए कहा कि ये पुरावशेष सिर्फ भारतीय इतिहास का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि वे भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं।पुरावशेषों का इतिहास और महत्व
PMO के अनुसार, ये पुरावशेष लगभग 4,000 साल पुराने हैं और भारत के विभिन्न हिस्सों से संबंधित हैं। इनमें से अधिकांश पुरावशेष पूर्वी भारत से प्राप्त मिट्टी के बर्तन हैं, जबकि अन्य पत्थर, धातु, लकड़ी, और हाथीदांत से बने हैं। इन पुरावशेषों का कालखंड 2000 ईसा पूर्व से लेकर 1900 ईस्वी तक का है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।प्रमुख पुरावशेषों में शामिल हैं:
- अप्सरा की मूर्ति (केंद्रीय भारत, 10-11वीं सदी)
- जैन तीर्थंकर की कांस्य प्रतिमा (केंद्रीय भारत, 15-16वीं सदी)
- मिट्टी का फूलदान (पूर्वी भारत, 3-4वीं सदी)
- भगवान गणेश की कांस्य प्रतिमा (दक्षिण भारत, 17-18वीं सदी)
- भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा (पूर्वी भारत, 17-18वीं सदी)
- भगवान बुद्ध की खड़ी मूर्ति (उत्तरी भारत, 15-16वीं सदी)
- मानवाकृति कांस्य प्रतिमा (उत्तरी भारत, 2000-1800 ईसा पूर्व)