GDP (सकल घरेलू उत्पाद) क्या होता है?

बजट भाषण के दौरान ‘GDP’ यानी सकल घरेलू उत्पाद का जिक्र अक्सर होता है, जिसे समझना बहुत जरूरी है क्योंकि यह देश की आर्थिक वृद्धि का संकेतक है। आइए जानते हैं जीडीपी के बारे में विस्तार से।

जीडीपी किसी देश की आर्थिक स्थिति को मापने का महत्वपूर्ण साधन है। यह एक निश्चित अवधि में देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को दर्शाता है। एक वित्त वर्ष में जितनी वस्तुएं और सेवाएं उत्पादित होती हैं, उनका मूल्य देश का जीडीपी कहलाता है। खर्च के दृष्टिकोण से देखा जाए तो उपभोक्ताओं, व्यवसायों और सरकार द्वारा की गई कुल खर्च को जोड़कर जीडीपी निकाला जाता है। भारत में जीडीपी में सर्विस सेक्टर का योगदान सबसे अधिक है, जो आर्थिक गतिविधियों के स्तर को दर्शाता है।

भारत में हर साल चार बार जीडीपी का आकलन किया जाता है और इसे आठ सेक्टरों से एकत्रित आंकड़ों के आधार पर मापा जाता है। जीडीपी का आकलन चार महत्वपूर्ण घटकों के माध्यम से किया जाता है:

  1. उपभोग खर्च (Consumption Expenditure): यह वस्तुओं और सेवाओं की खरीद के लिए लोगों का कुल खर्च होता है।
  2. सरकारी खर्च (Government Expenditure): यह सरकार का विभिन्न सेवाओं और प्रोजेक्ट्स पर किया गया खर्च होता है।
  3. निवेश खर्च (Investment Expenditure): यह व्यवसायों द्वारा नए निवेश और प्रोजेक्ट्स पर किया गया खर्च होता है।
  4. नेट निर्यात (Net Exports): यह कुल निर्यात से कुल आयात को घटाकर प्राप्त किया जाता है।

जीडीपी का आकलन दो रूपों में होता है: नॉमिनल और रियल टर्म्स में। नॉमिनल टर्म्स में, यह सभी वस्तुओं और सेवाओं की मौजूदा कीमतों पर आधारित होता है। जबकि वास्तविक या रियल जीडीपी को महंगाई के सापेक्ष एक आधार वर्ष के संबंध में एडजस्ट किया जाता है। आमतौर पर, वास्तविक जीडीपी को ही अर्थव्यवस्था की वास्तविक वृद्धि के रूप में माना जाता है।

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