बंगाल सरकार द्वारा आलू की आपूर्ति पर रोक के बाद झारखंड और बंगाल के किसानों के बीच विवाद तेज हो गया है। झारखंड के किसानों ने इसका विरोध करते हुए बंगाल से आने वाले सब्जी ट्रकों को रोक दिया है। वहीं, बंगाल के किसान भी झारखंड की गाड़ियों को रोकने में जुट गए हैं। इस तनावपूर्ण स्थिति ने दोनों राज्यों की सीमाओं पर हालात बिगाड़ दिए हैं, जिससे आम लोगों को भी परेशानी हो रही है।
बंगाल सरकार के फैसले से भड़के झारखंड के किसान
हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आलू की अन्य राज्यों में आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा दिया। इस फैसले ने झारखंड के किसानों को आक्रोशित कर दिया। किसानों का आरोप है कि आलू जैसी जरूरी वस्तु पर रोक लगाना अन्य राज्यों के किसानों के साथ भेदभाव है। इसके विरोध में झारखंड के किसान शुक्रवार सुबह से दुमकाकोचा बॉर्डर पर जुटकर बंगाल से आने वाली सब्जियों के वाहनों को रोकने लगे।
मजदूरों का प्रवेश भी रोका
किसान केवल सब्जी ट्रकों को ही नहीं, बल्कि बंगाल से झारखंड आने वाले मजदूरों को भी सीमा पर रोक रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब बंगाल सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही है, तो वे बंगाल के मजदूरों को झारखंड में प्रवेश क्यों दें?
बंगाल के किसानों की प्रतिक्रिया
झारखंड के इस कदम के जवाब में बंगाल के किसानों ने भी झारखंड से आने वाली सब्जियों और अन्य वस्तुओं के ट्रकों को रोकना शुरू कर दिया। उन्होंने सीमाओं पर बैरिकेड लगाकर गाड़ियों की आवाजाही बंद कर दी है। इससे सीमा क्षेत्रों में लंबा जाम लग गया है, जिससे व्यापारी और वाहन चालक परेशान हो रहे हैं।
पुलिस कार्रवाई ने बढ़ाई नाराजगी
गुरुवार को एक और विवादित घटना सामने आई, जिसने झारखंड के किसानों की नाराजगी को और बढ़ा दिया। झारखंड के कुछ किसान बंगाल से आलू के बीज लेकर लौट रहे थे। इसी दौरान, पश्चिम बंगाल पुलिस ने उनके झोलों से आलू बीज जब्त कर लिया।
किसानों ने इसे अनुचित कार्रवाई बताते हुए बंगाल सरकार और पुलिस पर भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। इस घटना के बाद शुक्रवार को झारखंड के किसानों ने विरोध तेज करते हुए सब्जी वाहनों के साथ-साथ अन्य सामग्रियों की आवाजाही पर भी रोक लगाने की धमकी दी है।
सीएम हेमंत सोरेन की प्रतिक्रिया
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस विवाद को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव अलका तिवारी को निर्देश दिया है कि वह बंगाल के अधिकारियों से बात कर समाधान निकालें। मुख्य सचिव ने बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से बातचीत की और जल्द से जल्द इस समस्या का हल निकालने की अपील की।
सीएम सोरेन ने कहा कि यह विवाद न केवल किसानों बल्कि दोनों राज्यों के नागरिकों के लिए हानिकारक है। सरकार दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए समाधान निकालने का प्रयास कर रही है।
आलू की कीमतों में उछाल
बंगाल सरकार के फैसले के बाद झारखंड और अन्य पड़ोसी राज्यों में आलू की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। झारखंड के बाजारों में आलू की कीमत 25-30 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 40-45 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। इससे आम जनता पर महंगाई का सीधा असर पड़ रहा है।
बॉर्डर पर बिगड़ते हालात
बॉर्डर पर स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। किसानों के बीच यह विवाद अब स्थानीय लोगों और व्यापारियों को भी प्रभावित कर रहा है। कई ट्रक ड्राइवर और व्यापारी, जो सीमाओं पर फंसे हुए हैं, जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे पर राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। विपक्षी दलों ने इस विवाद के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि समय रहते अगर दोनों राज्यों की सरकारें बातचीत से समाधान निकालतीं, तो स्थिति इतनी बिगड़ती नहीं।
आम जनता की परेशानी
आलू और सब्जियों की आपूर्ति प्रभावित होने से झारखंड और बंगाल दोनों ही राज्यों में महंगाई बढ़ गई है। व्यापारियों का कहना है कि सीमा पर जाम और विरोध प्रदर्शन के कारण सब्जियां खराब हो रही हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।
क्या है आगे की राह?
सरकार की कोशिशों के बावजूद सीमा पर किसानों का आक्रोश शांत होता नहीं दिख रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में झारखंड और बंगाल की सरकारें इस विवाद का समाधान कैसे करती हैं। वहीं, किसानों की मांग है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता, वे विरोध जारी रखेंगे।