राज्य में लगातार पुल और पुलिया गिरने की घटनाओं को सरकार ने गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराने और दोषी पाये जाने वाले कर्मियों, अभियंताओं व ठेकेदारों पर कार्रवाई का निर्णय गुरुवार को लिया था. इसी के तहत शुक्रवार को मिली जांच रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने 15 इंजीनियरों को तत्काल निलंबित कर दिया है. इनमें जल संसाधन विभाग के 11 और ग्रामीण कार्य विभाग के चार इंजीनियर शामिल हैं. इसके साथ ही ग्रामीण कार्य विभाग के पांच और इंजीनियरों पर निलंबन की कार्रवाई चल रही है. वहीं, कार्यकारी ठेकेदार को फिलहाल काम नहीं देने का फैसला लिया गया है. शुक्रवार को विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद ने मुख्य सचिवालय के सभागार में पत्रकारों से बात करते हुए यह जानकारी दी
30 साल पुराने थे ध्वस्त पुल-पुलिया
विकास आयुक्त ने कहा कि सारण और सीवान जिले में गंडकी व छाड़ी नदी पर गिरे छह पुल-पुलिया जल संसाधन विभाग के थे. ये सभी 30 साल से अधिक पुराने थे. इन्हें किया गया निलंबित दो कार्यपालक अभियंता अमित आनंद, कुमार ब्रजेश, चार सहायक अभियंता राजकुमार, चन्द्रमोहन झा, सिमरन आनंद, नेहा रानी व पांच कनीय अभियंता मो. माजिद, रवि कुमार रजनीश, रफीउल होदा अंसारी, रतनेश गौतम व प्रभात रंजन शामिल है. इसके पहले चार अभियंताओं को ग्रामीण कार्य विभाग निलंबित कर चुका है.
मनाही के बाद भी हुआ निर्माण कार्य
ग्रामीण कार्य विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि विभाग के तीन पुल ध्वस्त हुआ है. अररिया में बकरा नदी पर 18 जून को पुल गिरने के मामले में चार अभियंता को निलंबित किया गया, जबकि दो पहले से निलंबित थे. 23 जून को पूर्वी चंपारण में घोड़ासहन में गिरे पुल को लेकर मॉनसून अवधि में काम कराने की जानकारी सामने आयी है. इसको लेकर संवेदक से जवाब मांगा गया है. संबंधित इंजीनियरों पर भी कार्रवाई की तैयारी है.
एहतियातन कदम नहीं उठाया, तकनीकी पर्यवेक्षण नहीं किया गया
विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद ने बताया कि विभागीय जांच में पाया गया कि काम कि क्रियान्वयन के दौरान संबंधित अभियंताओं ने नदी पर अवस्थित पुल-पुलिया को सुरक्षित रखने जाने एहतियातन कदम नहीं उठाया. अभियंताओं द्वारा तकनीकी पर्यवेक्षण भी नहीं किया गया. जांच में ठेकेदारों के स्तर पर भी लापरवाही बरती जाने की बात सामने आयी है. इसलिए जहां अभियंताओं को निलंबित कर दिया गया है, वहीं, ध्वस्त पुलों के स्थान पर बनने वाले नये पुलों की पूरी राशि संबंधित ठेकेदार से वसूली जायेगी.