बिहार में अगले विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की गहन जांच (वेरिफिकेशन) चल रही है। अब तक 88% मतदाताओं ने जरूरी दस्तावेज और फॉर्म भरकर जमा कर दिए हैं। इस प्रक्रिया में एक बड़ा खुलासा हुआ है — करीब 35.5 लाख वोटरों के नाम हटाए जा सकते हैं।
क्यों हटाए जाएंगे इतने नाम?
चुनाव आयोग के मुताबिक:
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कई वोटर मृत पाए गए हैं।
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कुछ लोग स्थायी रूप से कहीं और शिफ्ट हो गए हैं।
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और कई ऐसे हैं जिनका नाम एक से ज्यादा जगह दर्ज है।
ऐसे मामलों में नाम हटाए जा रहे हैं ताकि वोटर लिस्ट एकदम साफ-सुथरी हो और चुनाव में कोई गड़बड़ी न हो।
अभी तक क्या हुआ है?
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राज्य में करीब 7.9 करोड़ वोटर हैं।
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इनमें से 6.6 करोड़ लोगों ने वेरिफिकेशन फॉर्म जमा कर दिया है।
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बीएलओ (Booth Level Officers) घर-घर जाकर फॉर्म बाँट रहे हैं और जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।
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ये काम 25 जुलाई 2025 तक पूरा हो जाएगा।
क्या असर पड़ेगा?
35 लाख वोटरों के नाम हटना राजनीतिक तौर पर काफी अहम हो सकता है। इससे कई सीटों पर चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल भी उठाए हैं — उन्हें डर है कि उनके समर्थकों के नाम न कट जाएं।
अगले कदम क्या हैं?
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1 अगस्त को ड्राफ्ट लिस्ट प्रकाशित होगी।
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अगर किसी को आपत्ति है या नाम छूट गया है, तो वो दस्तावेज देकर सुधार करवा सकता है।
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अंतिम वोटर लिस्ट 30 अगस्त को जारी होगी।