बिहार में इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) का काम शुरू कर दिया है। लेकिन जैसे-जैसे यह प्रक्रिया आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इससे जुड़ी चुनौतियाँ, भ्रम और विवाद भी सामने आने लगे हैं।
आयोग के मुताबिक, राज्य भर में अब तक लगभग 35 लाख से ज़्यादा वोटर 'ट्रेस' नहीं हो पाए हैं। इनमें से कुछ प्रवासी हैं, कुछ मृत, तो कुछ के नाम दो बार पंजीकृत हैं।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने 24 जून से पूरे बिहार में घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन शुरू किया है। इसके तहत यह देखा जा रहा है कि मतदाता अभी उसी पते पर रह रहे हैं या नहीं, वे जीवित हैं या नहीं, और कहीं किसी एक व्यक्ति का नाम दो जगहों पर तो दर्ज नहीं है।
अब तक जो आँकड़े सामने आए हैं, वे चौंकाने वाले हैं:
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12.5 लाख वोटर मृत पाए गए
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17.5 लाख प्रवासी हैं, जो अब अपने पते पर नहीं मिल रहे
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5.5 लाख वोटरों के नाम दो बार दर्ज हैं
इसके अलावा 54 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक आवश्यक फॉर्म जमा नहीं किया है।
जनता को किन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है?
1. दस्तावेज़ों की उलझन
कई लोग शिकायत कर रहे हैं कि आयोग द्वारा मांगे गए दस्तावेज़ों की सूची बहुत जटिल है। Aadhaar, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे आम दस्तावेज़ कई बार पर्याप्त नहीं माने जा रहे हैं।
2. ग्रामीण और गरीबों की परेशानी
जो लोग दूर-दराज़ या किराये के घरों में रहते हैं, उन्हें BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) तक पहुँच पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में उनके नाम सूची से कटने का खतरा है।
3. प्रवासी कामगारों का संकट
जो लोग बिहार से बाहर नौकरी या मजदूरी करते हैं, वे इस सत्यापन प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। इसके कारण उनका नाम भी हट सकता है।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज
इस पूरे मामले पर बिहार की राजनीति भी गर्म हो गई है।
RJD नेता तेजस्वी यादव ने इस प्रक्रिया को “साज़िश” करार दिया। उनका कहना है कि इससे दलितों, अल्पसंख्यकों और गरीबों के वोट काटे जा रहे हैं।
वहीं BJP और JDU ने चुनाव आयोग का समर्थन किया है और कहा है कि यह प्रक्रिया ज़रूरी है ताकि मृत, फर्जी और अवैध वोटरों को हटाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। अदालत ने चुनाव आयोग से सवाल किया कि क्या Aadhaar और वोटर ID जैसे सामान्य दस्तावेजों को पर्याप्त नहीं माना जा सकता? कोर्ट का कहना है कि “प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए, लेकिन आम लोगों को इससे बाहर नहीं किया जाना चाहिए।”
आगे का शेड्यूल
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25 जुलाई: सत्यापन फॉर्म भरने की अंतिम तारीख
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1 अगस्त: प्रारूपिक वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी
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इसके बाद नागरिक आपत्ति और सुधार के लिए आवेदन कर सकेंगे