क्या है 70 प्लस फॉर्मूला?
बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर 70 वर्ष से ऊपर के वरिष्ठ विधायकों के लिए टिकट देने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। इसका मतलब ये हुआ कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के नेता आगामी विधानसभा चुनाव में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
क्यों लगाया गया यह नियम?
यह कदम पार्टी में नई और युवा नेतृत्व को मौका देने के लिए उठाया गया है। सीएम नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जेडीयू और बीजेपी इस बार ज्यादा युवा चेहरों को मौका देना चाहती हैं ताकि पार्टी में नए जोश के साथ चुनाव लड़ाई जा सके।
किसका होगा प्रभाव?
इस नियम से पार्टी के लगभग 9 वरिष्ठ और अनुभवी विधायकों के चुनाव लड़ने पर असर पड़ेगा, क्योंकि उनकी उम्र 70 साल से ऊपर है। ऐसे में उनकी विधानसभा सीटों पर पार्टी की तरफ से नए उम्मीदवारों को मौका मिलेगा।
क्या है राजनीतिक महत्व?
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह बड़ा कदम माना जा रहा है। यह फॉर्मूला युवा वर्ग को जोड़ने के साथ-साथ पार्टी की छवि को भी ताज़ा कर सकता है। हालांकि, कुछ वरिष्ठ नेताओं के समर्थकों में इस फैसले को लेकर नाराजगी भी देखने को मिल सकती है।
नीतीश कुमार का रुख
सीएम नीतीश कुमार इस नीति का समर्थन कर रहे हैं और उनका मानना है कि राजनीति में उम्र के साथ बदलाव जरूरी होता है ताकि नए विचार सामने आएं और पार्टी मजबूती से चुनाव लड़े।
क्या होगा आगे?
आने वाले दिनों में पार्टी दोनों गठबंधन की ओर से टिकट वितरण को लेकर अंतिम निर्णय करेगी और इस 70 प्लस फॉर्मूले का कड़ाई से पालन करेगी।