प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच हाल ही में हुई बैठक में QUAD के अस्तित्व पर सवाल उठा। बाइडेन ने मोदी के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “QUAD बना रहेगा।” इस पर मोदी ने स्पष्ट किया कि QUAD किसी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह सहयोग संगठन समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करने के लिए बना है।
2 लाख लोगों की मौत और QUAD की शुरुआत
QUAD का गठन 2007 में हुआ था, लेकिन इसकी नींव 2004 में आई भयंकर सुनामी से जुड़ी है। 26 दिसंबर 2004 को आई इस सुनामी ने जापान, इंडोनेशिया और भारत सहित 14 देशों में भारी तबाही मचाई थी, जिसमें 2 लाख से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
इस प्राकृतिक आपदा के बाद, प्रभावित देशों की मदद के लिए भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान ने मिलकर एक कोर ग्रुप बनाया। इस ग्रुप ने 2005 तक आपसी सहयोग से काम किया, और यह प्रयास काफी सफल रहा।
जापान में QUAD का बीजारोपण
सुनामी के बाद इंडोनेशिया सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां लगभग 1.5 लाख लोगों की मौत हुई। इसके बाद दिसंबर 2006 में, तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जापान की यात्रा के दौरान एक संयुक्त बयान में कहा कि भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के साथ काम करना चाहता है।
इस बयान के बाद QUAD के गठन की अटकलें तेज हो गईं। अगस्त 2007 में, जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भारत की यात्रा के दौरान भारतीय संसद को संबोधित किया और “दो महासागरों के संगम” (हिंद महासागर और प्रशांत महासागर) की बात कही, जो QUAD की नींव को और मजबूत करता है।
QUAD की पहली बैठक
मई 2007 में, फिलीपींस की राजधानी मनीला में एक आसियान समिट का आयोजन हुआ, जिसमें भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। इस समिट के बाद, इन देशों ने अलग से एक बैठक की, जिसे QUAD की पहली बैठक के रूप में माना जाता है।
हालांकि, 2007 में QUAD का गठन तो हो गया, लेकिन इसके उद्देश्य तय करने से पहले ही अमेरिका ने चीन से अपने संबंध सुधारने के प्रयास में इस संगठन को ठंडे बस्ते में डाल दिया।
QUAD का फिर से उभरना
हाल के वर्षों में, चीन की बढ़ती ताकत और उसके विस्तारवादी रवैये के कारण QUAD एक बार फिर से सक्रिय हुआ है। मोदी और बाइडेन के बीच इस संगठन पर चर्चा इसी संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। हालांकि, मोदी ने स्पष्ट किया है कि यह संगठन किसी भी देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह चार लोकतांत्रिक देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।