बिहार सरकार को अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं
Published on July 17, 2024 by Vivek Kumar
उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार की 2015 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके तहत उसने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) से 'तांती-तंतवा' जाति को हटाकर अनुसूचित जातियों की सूची में 'पान/सावासी' जाति के साथ मिला दिया था। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार या क्षमता नहीं है। पीठ ने कहा कि अधिसूचना के खंड-1 के तहत निर्दिष्ट अनुसूचित जातियों की सूची में केवल संसद द्वारा बनाए गए कानून द्वारा ही संशोधन या परिवर्तन किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 341 के अनुसार न तो केंद्र सरकार और न ही राष्ट्रपति संसद द्वारा पारित कानून के बिना धारा-एक के तहत जारी अधिसूचना में कोई संशोधन या परिवर्तन कर सकते हैं, जिसमें राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में जातियों को निर्दिष्ट किया गया हो। पीठ ने सोमवार को सुनाए अपने फैसले में कहा, 'हमें यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि एक जुलाई, 2015 का संकल्प स्पष्ट रूप से अवैध और त्रुटिपूर्ण था, क्योंकि राज्य सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत प्रकाशित अनुसूचित जातियों की सूची में छेड़छाड़ करने की कोई क्षमता/शक्ति नहीं थी।' शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार सरकार अच्छी तरह जानती थी कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है।
Categories: राज्य समाचार बिहार