बिहार में सीएम नीतीश कुमार ने बाढ़ की स्थिति का लिया जायजा

पश्चिम चंपारण,पूर्वी चंपारण एवं गोपालगंज जिलों में नदियों के बढ़ते जलस्तर का हवाई सर्वेक्षण किया गया

गोपालगंज जिलों में नदियों के बढ़ते जलस्तर का हवाई सर्वेक्षण कर स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने गंडक बराज का भी निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये. मुख्यमंत्री ने निरीक्षण एवं समीक्षा के क्रम में अधिकारियों को कहा कि जल संसाधन विभाग पूरी तरह मुस्तैद रहे और लगातार मॉनिटरिंग करते रहे. निचले इलाकों में जहां पानी बढ़ रहा है, संभावित परिस्थितियों पर पूरी नजर रखें. डीएम स्वयं सतत निगरानी करते रहें. उन्होंने कहा कि अभियंता पूरी तरह अलर्ट रहें और वरीय पदाधिकारी स्थल पर कैंप करते रहें. मुख्यमंत्री ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया एसओपी के अनुसार सभी जिलों एवं संबद्ध विभागों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिये गये हैं, जिसका अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाये. उन्होंने व कहा कि नाव संचालन, पॉलिथिन शीट्स, राहत सामग्री की उपलब्धता, दवा, पशुचारा, बाढ़ आश्रय स्थल, सामुदायिक रसोई, ड्राइ राशन पैकेट्स फूड पैकेट्स, जिला आपातकालीन संचालन केंद्र आदि के संबंध में पूरी तैयारी रखी जाये, ताकि बाढ़ आने पर लोगों को तुरंत राहत पहुंचायी जा सके. सीएम ने कहा कि बाढ़ की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सभी विभाग के अधिकारी और जिलाधिकारी पूरी तरह अलर्ट रहें. आपदा प्रबंधन विभाग लगातार निगरानी करते रहे कि और क्या-क्या उपाय करने की जरूरत है. गोपालगंज के कई इलाकों में घुसा गंडक का पानी : सोमवार को गंडक नदी का पानी दियारे के नये इलाकों में फैल गया. कुचायकोट, सदर प्रखंड, मांझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर के इलाके में पानी प्रवेश करने से 22 गांवों और टोले से प्रखंड मुख्यालय का सड़क संपर्क टूट गया. लोग तीन से चार फुट पानी पार कर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हो गये. सदर प्रखंड में रामनगर गांव से होकर जगीरी टोला, मकसूदपुर, खाप मकसूदपुर और कटघरवा पंचायतों में जानेवाली सड़क पर तीन से चार फुट पानी बहने लगा है. यहां रामनगर प्लस टू विद्यालय, रामनगर मिडिल स्कूल, जगीरी टोला मिडिल स्कूल, आंगनबाड़ी का केंद्र का आधा हिस्सा पानी में डूब गया है.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि बाढ़ की आपदा के देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड रखा गया है. राज्य के 15 जिले अति बाढ़ प्रभावित श्रेणी में आते हैं, जबकि अन्य कई जिले भी बाढ़ से प्रभावित होते हैं. उन्होंने कहा कि बाढ़ के कारण इन जिलों में जान- माल की क्षति के साथ-साथ जलजनित बीमारियों का खतरा रहता है.

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