दिल्ली निवासी मनुज कथूरिया को शहर में एक कोचिंग सेंटर के बाहर फुटपाथ पर अपनी कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया। इस घटना ने कथित तौर पर कोचिंग सेंटर में मौजूद छात्रों की जान को खतरा पैदा कर दिया। हालांकि, कथूरिया के वकील ने तर्क दिया है कि उनके मुवक्किल को फुटपाथ के बारे में पता नहीं था और उन्होंने गिरफ्तारी की गंभीरता पर सवाल उठाया है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कथूरिया ने एक छात्र को कोचिंग सेंटर में छोड़ा था और जब वह अपनी कार को मोड़ने का प्रयास कर रहा था, तो वह गलती से फुटपाथ पर चला गया। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की और कथूरिया को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया। बाद में उसे अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
पुलिस ने कथूरिया के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 279 (तेज गति से गाड़ी चलाना) और 336 (दूसरों की जान या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं में अधिकतम छह महीने की कैद और 1,000 रुपये तक के जुर्माने की सजा है। हालांकि, कथूरिया के वकील ने तर्क दिया है कि गिरफ्तारी अनुचित थी और उनके मुवक्किल ने जानबूझकर किसी की जान को खतरे में नहीं डाला। वकील ने कहा, “मेरा मुवक्किल बस अपनी कार को मोड़ने की कोशिश कर रहा था और उसने कोई चेतावनी संकेत या बैरिकेड नहीं देखा जो यह दर्शाता हो कि फुटपाथ वाहनों के लिए प्रतिबंधित है।” “उसे कैसे पता चला कि उसे फुटपाथ पर गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है?” वकील ने यह भी बताया कि फुटपाथ पर कोई चेतावनी संकेत या बैरिकेड नहीं थे जो यह दर्शाते हों कि फुटपाथ वाहनों के लिए प्रतिबंधित है। वकील ने तर्क दिया, “अगर अधिकारियों ने स्पष्ट संकेत लगाए होते, तो मेरा मुवक्किल फुटपाथ पर गाड़ी नहीं चलाता।” इस मामले ने सजा की गंभीरता और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट संकेत और नियमों की आवश्यकता के बारे में बहस छेड़ दी है।
कई लोगों ने गिरफ्तारी पर अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है और इसे पुलिस की अति प्रतिक्रिया बताया है। एक ट्विटर यूजर ने कहा, “यह पुलिस द्वारा की गई लापरवाही का स्पष्ट मामला है।” “वह व्यक्ति बस अपनी कार को मोड़ने की कोशिश कर रहा था और उसने जानबूझकर किसी की जान को खतरे में नहीं डाला। उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया जाना चाहिए, जेल नहीं भेजा जाना चाहिए।” अन्य लोगों ने बताया कि यह घटना भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट संकेत और विनियमन की आवश्यकता को उजागर करती है। एक अन्य ट्विटर यूजर ने कहा, “अगर फुटपाथ पर वाहनों के लिए प्रतिबंध के स्पष्ट संकेत होते, तो यह घटना नहीं होती।” मामला अभी जांच के दायरे में है और कथूरिया का भाग्य अनिश्चित बना हुआ है। उनके वकील ने केस लड़ने और अपने मुवक्किल को जेल से रिहा करवाने की कसम खाई है।