दूसरी तिमाही में वृद्धि की गति तेज, खाद्य महंगाई चिंता का विषय: RBI

चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही की शुरुआत अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेतों के साथ हुई है। हालांकि खाने के सामान की महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने गुरुवार को जारी जुलाई के बुलेटिन में ये बात कही है। आरबीआई की बुलेटिन में ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में यह भी कहा गया है कि कृषि परिदृश्य तथा गांवों में खर्च में सुधार, मांग में तेजी लाने में प्रमुख कारण साबित हुए हैं। इसमें कहा गया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति लगातार तीन महीनों तक नरम रहने के बाद जून, 2024 में बढ़ी है। सब्जियों की कीमतों में तेजी इसकी मुख्य वजह है। सब्जियों और दूसरे खाद्य उत्पादों की कीमतें बढ़ने से जून में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर चार महीने के उच्चतम स्तर 5.08 फीसद पर पहुंच गई। मई में यह आंकड़ा 4.8 फीसद था। आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुआई वाली टीम की ओर से लिखे गए लेख में यह तर्क दिया जाता रहा है कि खाने के सामान के मूल्य में तेजी अस्थायी है, लेकिन पिछले एक साल में यह साबित नहीं हुआ। मूल्य के स्तर पर झटके के लिहाज से यह छोटी अवधि नहीं बल्कि लंबी अवधि है। इसमें कहा गया है कि यह साफ है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों ने मुद्रास्फीति को गति दी और परिवारों की महंगाई की उम्मीदों पर इसका प्रतिकूल असर दिखा। इससे मौद्रिक नीति और आपूर्ति प्रबंधन के माध्यम से मुख्य (कोर) और ईंधन मुद्रास्फीति में जो कमी आई, उसका ज्यादा लाभ नहीं हुआ। महंगाई को लेकर अधिक अनिश्चितता को देखते हुए मुद्रास्फीति को चार फीसद के लक्ष्य पर लाने के रास्ते पर बने रहना समझदारी है। केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विस्तृत लेख में कहा गया है कि नकदी के मोर्चे पर जून, 2024 की शुरुआत में अधिशेष की स्थिति थी।

Leave a Comment