रक्षा क्षेत्र से जुड़े सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) के गोवा स्थित एक सरकारी संस्थान से हुए करार के तहत निर्मित होने वाला एक जहाज हिंद महासागर की गहराई में दुर्लभ खनिजों और धातुओं की तलाश करेगा। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। गोवा में राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के एक प्रवक्ता ने एक बयान में बताया कि 89.5 मीटर की लंबाई वाला यह पोत, समुद्र में गहरे अन्वेषण के लिए किसी भारतीय पोत कारखाने में बनाया जाने वाला सबसे बड़ा अनुसंधान जहाज होगा। उन्होंने बताया कि इस जहाज को पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के गहन समुद्री अभियान के वास्ते गहरे समुद्र में वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने और नमूने एकत्र करने के लिए तैनात किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह हर मौसम में काम कर पाएगा और इसमें एक बार में 34 वैज्ञानिकों को ले जाने की क्षमता होगी। इसके अगले 30 साल तक भारत के लिए काम करने की संभावना है। बयान के अनुसार, कोलकाता स्थित जीआरएसई द्वारा 36 महीने में बनाए जाने वाले इस जहाज का अनुबंधित मूल्य 839.55 करोड़ रुपए है। इसमें कहा गया है कि यह ‘भारत के गहन समुद्री अभियान के तहत गहरे समुद्र में दुर्लभ खनिजों और धातुओं की खोज करेगा।’ बयान में बताया गया है कि गोवा में जीआरएसई और एनसीपीओआर के अधिकारियों ने मंगलवार को इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।