पुलिस का दावा, कुछ राजनीतिक दलों ने मधुकर से संपर्क किया था।
पुलिस ने कहा, ऐसी संभावना है कि स्वयंभू बाबा के कार्यक्रमों को एक राजनीतिक दल द्वारा ‘वित्त पोषित’ किया जाता है।
हाथरस के पुलिस अधीक्षक ने बताया कि ‘मधुकर की दो भूमिकाएं सामने आई हैं, मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाले के तौर पर।’
हाथरस में दो जुलाई को मची भगदड़ के मामले में मुख्य आरोपी देवप्रकाश मधुकर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। हाथरस में भगदड़ की घटना में 121 लोगों की मौत हो गई थी। गिरफ्तारी के बाद मधुकर को शनिवार को एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने दावा किया कि हाल में कुछ राजनीतिक दलों ने मधुकर से संपर्क किया था और उन्हें संदेह है कि स्वयंभू बाबा के कार्यक्रमों को एक राजनीतिक दल द्वारा ‘वित्त पोषित’ किया जाता है। पुलिस के अनुसार, हाथरस में मची भगदड़ के सिलसिले में दो और संदिग्धों रामप्रकाश शाक्य (61) और संजू यादव (33) को हिरासत में लिया गया। अधिकारियों ने बताया कि एक अदालत ने संजू यादव को भी 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। हाथरस के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निपुण अग्रवाल ने बताया कि मधुकर (42) को हाथरस पुलिस के ‘स्पेशल आपरेशन ग्रुप’ (एसओजी) ने दिल्ली के नजफगढ़ इलाके से गिरफ्तार कर लिया। अग्रवाल ने बताया कि मधुकर स्वयंभू बाबा सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के कार्यक्रमों के लिए धन जुटाने का काम करता था और चंदा इकट्ठा करता था। एसपी ने कहा, ‘उनके वित्तीय लेन-देन, धन के लेन-देन और काल डिटेल रिकार्ड की भी जांच की जा रही है।’ हालांकि, शुक्रवार रात मधुकर के वकील ए पी सिंह ने दावा किया था कि उसने दिल्ली में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। उन्होंने कहा कि मधुकर इलाज के लिए दिल्ली आया था। शनिवार को दोपहर करीब 2.15 बजे मधुकर को पुलिस द्वारा सरकारी अस्पताल के अंदर और आसपास भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मेडिकल जांच के लिए हाथरस के बागला संयुक्त जिला अस्पताल लाया गया। मधुकर ने अपना चेहरा रुमाल से ढका हुआ था और सिर पर साफा बांधा हुआ था। मधुकर उस सत्संग का मुख्य सेवादार था, जहां भगदड़ मची थी। इस घटना के संबंध में हाथरस के सिकंदराराऊ थाने में दर्ज प्राथमिकी में वह एकमात्र नामजद आरोपी है। एसपी ने कहा, ‘धन एकत्रित करने के संबंध में विस्तृत जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ऐसे कार्यक्रमों और अन्य संसाधनों को किसी राजनीतिक दल द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। अब तक की जांच से ऐसा प्रतीत होता है कि कोई राजनीतिक दल अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों के लिए इनसे जुड़ा हुआ है।’ उन्होंने कहा, ‘आरोपी देवप्रकाश मधुकर से संबंधित सभी बैंक खातों, चल अचल संपत्तियों, धन के लेन-देन की जांच की जा रही है, जिसमें आवश्यकतानुसार अन्य एजेंसियों से भी सहायता ली जाएगी।’ एसपी ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ के बाद आरोपी मधुकर ने बताया कि वह 2010 से एटा जिले में मनरेगा में जूनियर इंजीनियर के पद पर संविदा पर काम कर रहा था। वह वर्षों से (भोले बाबा की) संस्था से जुड़ा है और कार्यक्रम आयोजित कर उसके लिए धन एकत्र करता है। अग्रवाल ने कहा, ‘मधुकर दो जुलाई को फुलराई गांव में सत्संग कार्यक्रम का मुख्य आयोजक था और इस कार्यक्रम की अनुमति भी उसी ने ली थी। इस प्रकार, मधुकर की दो भूमिकाएं सामने आई हैं-मुख्य आयोजक और धन जुटाने वाले के तौर पर।’ अग्रवाल ने कहा कि आरोपी और उसके निर्देश पर काम करने वाले सेवादार/आयोजन समिति के सदस्य सत्संग पंडाल के आसपास अवरोधक, प्रवेश द्वार, निकास द्वार, बैठने की व्यवस्था, पार्किंग और अन्य सुविधाओं के लिए ‘पूरी तरह जिम्मेदार’ थे। उन्होंने कहा, ‘मधुकर और अन्य सेवादारों ने पुलिस प्रशासन को कार्यक्रम स्थल के अंदर किसी भी तरह के हस्तक्षेप से रोका। कार्यक्रम स्थल पर उनके सेवादार अलग-अलग वेशभूषा में कमांडो के रूप में सभी व्यवस्थाओं की देखरेख कर रहे थे।’ एसपी ने कहा, ‘कार्यक्रम स्थल पर किसी भी व्यक्ति को वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी करने की अनुमति नहीं थी। इस प्रकार, व्यवस्थाएं ठीक से नहीं की गईं और प्रशासन द्वारा जारी अनुमति पत्र में उल्लिखित कई शर्तों का उल्लंघन करके यातायात व्यवस्था को प्रभावित किया गया।’ शनिवार को पुलिस का बयान मधुकर के वकील के इस दावे का खंडन करता है कि उसने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। मधुकर के वकील ए पी सिंह ने शुक्रवार रात एक वीडियो संदेश में दावा किया था, “हमने हाथरस मामले में दर्ज प्राथमिकी में मुख्य आरोपी बताए जा रहे देवप्रकाश मधुकर का आज आत्मसमर्पण करा दिया है। उसका यहां उपचार किया जा रहा था इसलिए पुलिस, एसआइटी और एसटीएफ को दिल्ली बुलाया गया।’