ढाका: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय ने एक जोरदार प्रदर्शन करते हुए नई सरकार को अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश किसी एक समूह का नहीं, बल्कि सभी का है। प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं। इस प्रदर्शन में मुख्य रूप से अल्पसंख्यकों के लिए अलग मंत्रालय और सुरक्षा आयोग की स्थापना, उनके खिलाफ हिंसा रोकने के लिए सख्त कानूनों का निर्माण और संसद में 10% सीटों का आरक्षण जैसी मांगें शामिल थीं।
प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बढ़ी हिंसा
प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और 5 अगस्त को देश छोड़ने के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मामलों में वृद्धि देखी गई है। इस बढ़ती हिंसा के खिलाफ सैकड़ों लोगों ने ढाका में शनिवार को विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे बांग्लादेश छोड़ने वाले नहीं हैं, चाहे कोई भी स्थिति क्यों न हो। उन्होंने नारों के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद की, “यह देश किसी के बाप का नहीं है। हमने खून दिया है, और अगर जरूरत पड़ी, तो फिर से देंगे।”
अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानूनों की मांग
प्रदर्शन के दौरान, हिंदू, बौद्ध और ईसाई समुदायों के लिए एक विशेष मंत्रालय और सुरक्षा आयोग की मांग की गई। साथ ही, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और उन्हें लागू करने की भी जोरदार मांग उठाई गई।
संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र ने भी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा, “हम बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर नियंत्रण चाहते हैं और नस्ली आधार पर किसी भी तरह की हिंसा के खिलाफ हैं।”
नोबेल विजेता मोहम्मद यूनुस की भूमिका पर चर्चा
प्रदर्शन के बीच, नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार बनाए जाने की खबर भी चर्चा में रही। संयुक्त राष्ट्र के उप प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि शांति बहाली का कोई भी संकेत एक सकारात्मक कदम है, और उम्मीद जताई कि यह देश में स्थिरता लाने में मदद करेगा।
अल्पसंख्यक उत्पीड़न की रिपोर्टें बढ़ी
बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने शुक्रवार को बताया कि शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से देश के 64 जिलों में से 52 में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 205 से अधिक घटनाएं सामने आई हैं। परिषद ने अंतरिम नेता मोहम्मद यूनुस को एक खुले पत्र में कहा कि देश भर में अल्पसंख्यकों के बीच गहरी चिंता और अनिश्चितता का माहौल है।
आगे की राह
प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें स्पष्ट कर दी हैं और अब यह देखना होगा कि नई सरकार और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इन मुद्दों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जल्द और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।