IAS अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ीं, विजिलेंस और ED ने शुरू की जांच

निलंबित IAS अधिकारी अभिषेक प्रकाश की परेशानियां और बढ़ गई हैं। विजिलेंस जांच के आदेश के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी उनकी संपत्तियों और पुराने फैसलों की जांच कर सकता है।

ED ने शुरू की संपत्ति की जांच

सूत्रों के मुताबिक, ED ने अभिषेक प्रकाश और उद्योगपति निकांत जैन की संपत्तियों की जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दिया है। जांच एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि अभिषेक प्रकाश के संपर्क में आने से पहले निकांत जैन की आर्थिक स्थिति क्या थी और अचानक उसकी संपत्ति में इतनी वृद्धि कैसे हुई।

इससे पहले, उद्योगपति से रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार निकांत जैन के कार्यालय को पुलिस ने सील कर दिया था। ED सबसे पहले निकांत जैन की संपत्तियों का पूरा ब्योरा जुटाएगी और फिर आगे की कार्रवाई करेगी।

सोलर ऊर्जा घोटाले में गिरफ्तारी

सोलर एनर्जी से जुड़े एक मामले में उद्योगपति से 5% कमीशन मांगने के आरोप में निकांत जैन को गोमतीनगर से गिरफ्तार किया गया था। उनके खिलाफ गोमतीनगर थाने में एफआईआर दर्ज की गई है और मामले की जांच जारी है।

अभिषेक प्रकाश के पुराने फैसलों की भी होगी जांच

निलंबन के बाद अब अभिषेक प्रकाश के इन्वेस्टमेंट से जुड़े पुराने फैसलों की भी जांच की जाएगी। वह ढाई साल से अधिक समय तक ‘इन्वेस्ट यूपी’ के सीईओ रहे थे। इस दौरान लिए गए सभी निवेश संबंधी फैसलों की फाइलें तलब की गई हैं।

औद्योगिक विकास विभाग अब यह जांच करेगा कि किन निवेश प्रस्तावों को अस्वीकार किया गया और किन्हें मंजूरी मिली। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि किसी विशेष निवेशक को अनुचित लाभ तो नहीं दिया गया।

भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी के आरोप

डिफेंस कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में भी अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। नियमों का उल्लंघन कर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए असंक्रमणीय भूमि (जिसे बेचा नहीं जा सकता) को संक्रमणीय (बेचने योग्य) कर दिया गया।

वर्ष 2020 में कुछ लोगों को असंक्रमणीय भूमिधर घोषित करने के आदेश दिए गए थे और मार्च 2021 में उन्हें संक्रमणीय भूमि का मालिक बना दिया गया। इन गड़बड़ियों की शिकायतें डीएम और मंडलायुक्त तक पहुंची थीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। हालांकि, अब जांच रिपोर्ट में इन अनियमितताओं का खुलासा हो रहा है।

आगे की कार्रवाई

ED और विजिलेंस की जांच जारी है। अभिषेक प्रकाश के सभी निवेश और प्रशासनिक फैसलों को दोबारा परखा जाएगा। निकांत जैन की संपत्तियों की गहन जांच के बाद ED आगे की रणनीति तय करेगा।