केंद्र सरकार की ओर से 25 जून’ को ‘संविधान हत्या दिवस’ करने पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि दस वर्षों में केंद्र सरकार ने हर दिन ‘संविधान हत्या दिवस’ ही तो मनाया है। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया मंच एक्स पर टैग करते हुए लिखा, ‘मोदी जी पिछले 10 वर्षों में आपकी सरकार ने हर दिन संविधान हत्या दिवस ही तो मनाया है। आपने देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीना है।’ खरगे ने कुछ घटनाओं का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री से प्रश्न किया कि ये घटनाएं संविधान की हत्या नहीं तो क्या है। जब मध्य प्रदेश में भाजपा नेता आदिवासियों पर पेशाब करता है, या जब यूपी के हाथरस की दलित बेटी का पुलिस जबरन अंतिम संस्कार कर देती है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब हर 15 मिनट में दलितों के खिलाफ एक बड़ा अपराध घटता है और हर दिन छह दलित महिलाओं के साथ बलात्कार होता है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब अल्पसंख्यकों पर गैरकानूली बुलडोजर न्याय का प्रकोप होता है, जिसमें दो वर्षों में ही 1.5 लाख घरों को तोड़कर 7.38 लाख लोगों को बेघर बनाया जाता है तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब मणिपुर 13 महीनों से हिंसा के चपेट में है और आप वहां कदम तक रखना नहीं पंसद करते तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? खरगे ने लिखा, ‘मोदी जी, आपके मुंह से संविधान की बातें अच्छी नहीं लगती।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा कि भाजपा-आरएसएस- जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना। क्या ये सच नहीं है कि आरएसएस के मुखपत्र आर्गेनाइजर ने 30 नवंबर, 1949 के अंक में संपादकीय में लिखा था कि ‘भारत के इस नए संविधान की सबसे बुरी बात यह है कि इसमें भारतीय कुछ भी नहीं है’ और क्या यहां आरएसएस साफ तौर पर भारतीय संविधान के मुख्य निर्माता यानी बाबासहेब आंबेडकर जी के विरोध में और मनुस्मृति के समर्थन में नहीं खड़ी हुई?’ उन्होंने पूछा जब आपने मनमाने तरीके से नोटबंदी लागू करके, आरबीआइ जैसी संस्था को कुचला, बैंकों की लाइनों में खड़ा कर 120 लोगों की जान ली। वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है? जब आपने कोरोना महामारी के दौरान लाखों मजदूरों को उनके पैरों के छाले की परवाह न किए बिना पूर्णबंदी बिना तैयारी के लगा दिया तो वो संविधान की हत्या नहीं तो और क्या है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, भाजपा- आरएसएस-जनसंघ ने संविधान को कभी नहीं माना। देश के हर गरीब व वंचित तबके से हर पल उनका आत्मसम्मान छीना है।