जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बुधवार को 24 सीटों पर 61.13% से अधिक मतदान हुआ। निर्वाचन आयोग ने जानकारी दी कि केंद्र-शासित प्रदेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 7 बजे मतदान शुरू हुआ, और यह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। यह चुनाव अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधानों को हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव है, जिससे इसकी अहमियत और बढ़ जाती है।
जिलावार मतदान
किश्तवाड़ जिले में सबसे अधिक 80.14% मतदान हुआ, जबकि रामबन में 70.55%, डोडा में 71.34%, कुलगाम में 62.60%, अनंतनाग में 57.84%, और शोपियां में 55.96% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। पुलवामा जिले में सबसे कम 46.65% मतदान दर्ज किया गया। इस चरण में 24 सीटों पर मतदान हुआ, जिसमें 16 सीटें कश्मीर घाटी और 8 सीटें जम्मू क्षेत्र की थीं। कुल मिलाकर 23 लाख से अधिक मतदाता 219 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे, जिनमें से 90 निर्दलीय उम्मीदवार हैं।
शांतिपूर्ण मतदान और सुरक्षा व्यवस्था
चुनाव शांतिपूर्ण रहा और मतदान केंद्रों पर पुरुष, महिला, युवा, बुजुर्ग और विकलांग मतदाताओं ने भी धैर्यपूर्वक अपने वोट डालने का इंतजार किया। हालांकि, बिजबेहरा और डीएच पुरा के कुछ इलाकों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की घटनाएं सामने आईं, लेकिन सुरक्षाबलों की सख्त निगरानी के चलते स्थिति को जल्दी नियंत्रित कर लिया गया।
नेताओं की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मतदाताओं से भारी संख्या में लोकतंत्र के इस पर्व में भाग लेने की अपील की, खासकर युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों से। गृह मंत्री अमित शाह ने भी युवाओं की शिक्षा, रोजगार और महिला सशक्तीकरण को ध्यान में रखते हुए एक स्थिर और विकासशील सरकार चुनने की अपील की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मतदाताओं को राज्य के दर्जे में किए गए बदलावों की याद दिलाते हुए अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मतदान करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि यह चुनाव शांति, स्थिरता और विकास पर आधारित भविष्य की दिशा तय करेगा।
राहुल गांधी और उमर अब्दुल्ला का बयान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के समर्थन की अपील करते हुए कहा कि यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए अपने संवैधानिक अधिकारों को पुनः प्राप्त करने और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने का एक अवसर है। उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने को ‘संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन’ करार दिया और जनता से समृद्ध भविष्य के लिए मतदान करने का आग्रह किया। नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पांच अगस्त 2019 की घटनाओं को भूलना मुश्किल है, इसलिए यह चुनाव जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है
पहले चरण के मतदान के बाद अब सबकी निगाहें अगले चरणों पर हैं। कुल मिलाकर, जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण और बड़े पैमाने पर मतदान होने से यह स्पष्ट हो गया है कि लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग कर एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।