क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए कानून की पढ़ाई: न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़

सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ कानून की पढ़ाई के पेशे में एक बड़ा बदलाव चाहते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का मानना है कि इस छोटे से बदलाव से कानून की पढ़ाई छात्रों के लिए और सार्थक हो जाएगी और इससे अदालतों के कामकाज में भी मदद मिलेगी। शनिवार को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कानून की पढ़ाई को क्षेत्रीय भाषा में छात्रों के लिए लिए उपलब्ध कराना वक्त की मांग है। उन्होंने कहा मैं अक्सर देश भर के शिक्षाविदों के साथ चर्चा करता हूं कि कानून को सरल भाषा में कैसे पढ़ाया जा सकता है। अगर हम आम जनता को कानून के सिद्धांतों को सरल शब्दों में नहीं समझा सकते हैं, तो कानूनी पेशे और कानूनी शिक्षा में कमी है। कानून पढ़ाने में हमें क्षेत्रीय भाषाओं पर भी विचार करना चाहिए और मेरा मानना है कि राम मनोहर नेशनल विधि विश्वविद्यालय को हिंदी में एलएलबी पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति जमीन से संबंधित समस्या लेकर विश्वविद्यालय के कानूनी सहायता केंद्र में आता है और छात्र खसरा और खतौनी जैसे शब्दों को नहीं समझता है तो ऐसे में वो उसकी मदद कैसे कर पाएंगे ?

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