पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NITI Aayog की बैठक से अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी माइक्रोफोन को पांच मिनट के बाद बंद कर दिया गया, जिससे उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। इस घटना ने गर्मा-गर्म बहस को जन्म दिया है, जबकि सरकार ने किसी भी गलतफहमी को नकारा है।
बैठक में एकमात्र विपक्षी स्वर के रूप में मौजूद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि उन्हें भोजन के समय से पहले बोलने का मौका मिला था, लेकिन उनके माइक्रोफोन को अचानक बंद कर दिया गया। इससे उनके विचार व्यक्त करने में बाधा उत्पन्न हुई।
NITI Aayog के CEO बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यन ने स्पष्ट किया कि हर मुख्यमंत्री को सात मिनट का समय दिया जाता है, और एक स्क्रीन पर बचे हुए समय का काउंटर होता है। उन्होंने किसी भी गलतफहमी से इंकार किया, और कहा कि बनर्जी को उनका निर्धारित समय दिया गया था।
सरकार ने बनर्जी के आरोपों को खारिज कर दिया, और कहा कि उन्हें उनका निर्धारित समय दिया गया था और माइक्रोफोन को बंद नहीं किया गया था। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बनर्जी पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं DMK प्रमुख एम.के. स्टालिन ने बनर्जी के “अस्वीकृत” व्यवहार के लिए केंद्र की निंदा की। रमेश ने NITI Aayog को “PMO का एक संबद्ध कार्यालय” करार दिया और कहा कि इसका कार्यप्रणाली “साफ तौर पर पक्षपाती” है।
इस घटना ने एक गर्म बहस को जन्म दिया है, जिसमें कई लोग NITI Aayog के कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। जैसे-जैसे विवाद खुलता है, यह साफ है कि केंद्र और विपक्ष के बीच संबंध अब नए स्तर पर पहुंच चुके हैं। ताज़ा अपडेट्स के लिए जुड़े रहें।