फ्रांस में रविवार को संसदीय चुनाव के दूसरे चरण का मतदान हुआ। माना जा रहा है कि विभाजित संसद में दक्षिणपंथी पार्टी सबसे बड़ी ताकत बनकर उभर सकती है। इधर, चुनाव के बीच देश में तनावपूर्ण माहौल है, जिससे निपटने के लिए 30,000 पुलिस बल की तैनाती की गई है। रविवार को राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी मतदान किया। खबर लिखे जाने तक 59.7 फीसद मतदाताओं ने किया मताधिकार का इस्तेमाल किया। इस आंकड़े के हिसाब से 1981 के बाद देश में सर्वाधिक मतदान होने की संभावना है। अधिकारियों के अनुसार, समग्र मतदान चार दशकों में सबसे अधिक होने की राह पर है। संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था लेकिन यूरोपीय संघ चुनाव में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा दांव खेला है। इस चुनाव में नाजी युग के बाद सत्ता की बागडोर पहली बार राष्ट्रवादी एवं धुर-दक्षिणपंथी ताकतों के हाथों में जाने या त्रिशंकु संसद की संभावना जताई जा रही है। इससे पहले 30 जून को पहले चरण का चुनाव हुआ था, जिसमें मरीन ले पेन नीत नेशनल रैली ने बढ़त बनाई थी। यह चुनाव तय करेगा कि नेशनल असेंबली पर किसका नियंत्रण होगा। अगर मैक्रों की पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो उन्हें यूरोपीय संघ समर्थक नीतियों का विरोध करने वाले दलों के साथ सत्ता साझा करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
फ्रांस की संसद का कार्यकाल 2027 में खत्म होना था लेकिन यूरोपीय संघ चुनाव में नौ जून को बड़ी हार मिलने के बाद राष्ट्रपति मैक्रों ने समय से पहले संसद भंग कर बड़ा दांव खेला है। इससे पहले 30 जून को पहले चरण का चुनाव हुआ था