उत्तर भारत के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और नदियों के उफान पर आ जाने के कारण 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और कई घर बह गए तथा सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं। बारिश और भूस्खलन के चलते कई लोग लापता हैं, ऐसे में बचाव दल उखड़ चुके पेड़ों और ढह चुकी इमारतों के बीच से जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। उत्तराखंड में भारी बारिश से क्षतिग्रस्त रास्तों को देखते हुए गुरुवार को केदारनाथ यात्रा स्थगित कर दी गई जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों पर पिछले 24 घंटे में वर्षा संबंधी घटनाओं में 14 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से देहरादून जिले में चार, हरिद्वार जिले में छह, टिहरी जिले में तीन तथा चमोली जिले में एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। इसके अलावा 10 अन्य घायल हो गए। बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे भारी बारिश से गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल रास्ते पर भीमबली में 20- 25 मीटर का मार्ग बह गया तथा पहाड़ों से बड़े-बड़े पत्थर आ गए। केदारनाथ पैदल मार्ग पर फंसे 1500 से अधिक यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है। अब तक करीब 425 यात्रियों को लिंचोली और भीमबली से हेलिकाप्टर के माध्यम से सुरक्षित स्थान पर लाया गया जबकि 1100 अन्य लोगों को राज्य आपदा प्रतिवादन बल, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल सहित अन्य बचाव दलों के सहयोग से वैकल्पिक रास्तों से पैदल बाहर लाया गया। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश भी मानसून के कहर से जूझ रहा है, जहां बादल फटने की कई घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई, जिनमें मंडी में तीन और शिमला में दो लोगों की जान चली गई। इसके अलावा करीब 50 लोग लापता हो गए। वहीं राजस्थान के जयपुर में गुरुवार सुबह विश्वकर्मा इलाके में एक घर के बेसमेंट में बारिश का पानी घुस जाने से एक परिवार के तीन सदस्यों की डूबकर मौत हो गई। जयपुर के बगरू थाना क्षेत्र में एक किशोर पीयूष आचार्य (15) नाले में बह गया। पुलिस ने यह जानकारी दी।