पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी नाटकीय बेदखली और भारत में शरण लेने के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है, जिसमें उन्होंने अमेरिका की भूमिका का संकेत दिया है। शेख हसीना ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने हिंसा को रोकने के लिए इस्तीफा दिया, जिससे छात्रों की लाशों के ऊपर सत्ता पर कब्जा करने की साजिश विफल हो सके।
शेख हसीना ने कहा, “मैंने इस्तीफा दे दिया ताकि और अधिक हिंसा न देखनी पड़े। वे छात्रों की लाशों के ऊपर सत्ता पर कब्जा करना चाहते थे, लेकिन मैंने इस्तीफा देकर इसे रोक दिया।” यह बयान उन्होंने द इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत के दौरान दिया।
बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं। इस सरकार का उद्देश्य है कि संक्रमणकालीन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया जाए और जल्दी चुनाव की तैयारी की जाए।
अमेरिका की भूमिका का संकेत:
शेख हसीना ने यह भी दावा किया कि अगर उन्होंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को अमेरिका के हवाले कर दिया होता और बंगाल की खाड़ी पर अमेरिका को प्रभाव डालने की अनुमति दे दी होती, तो वह सत्ता में बनी रह सकती थीं। उन्होंने बांग्लादेशी जनता से आग्रह किया कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं।
प्रदर्शनकारी छात्रों को संबोधित करते हुए, हसीना ने स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी प्रदर्शनकारी छात्रों को ‘रजाकार’ नहीं कहा था। “मेरे शब्दों को विकृत करके आपको भड़काया गया। उस दिन का पूरा वीडियो देखें ताकि आप समझ सकें कि किस तरह साजिशकर्ताओं ने आपके निर्दोष भावनाओं का फायदा उठाया,” उन्होंने कहा।
शेख हसीना ने मई में आरोप लगाया था कि बांग्लादेश और म्यांमार के हिस्सों को विभाजित करके एक ईसाई राज्य बनाने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने दावा किया कि अगर उन्होंने एक विदेशी देश को बांग्लादेश में एयरबेस स्थापित करने की अनुमति दी होती, तो उन्हें आसानी से फिर से चुना जा सकता था।