जमशेदपुर के चांडिल डैम में डूबे हुए ट्रेनी विमान को भारतीय नौसेना के दल ने कड़ी मेहनत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच 7 दिन बाद निकाल लिया है। सोमवार सुबह से शुरू हुआ यह ऑपरेशन देर रात 12 बजे तक चला और भारी बारिश के बावजूद नौसेना ने इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। विमान को देखने के लिए स्थानीय लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी।
नौसेना का चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन
नौसेना ने सुबह 10 बजे विमान को निकालने की प्रक्रिया शुरू की। सबसे पहले विमान की स्थिति का पता लगाकर, बैलून को विमान की लोकेशन पर भेजा गया। इसमें हवा भरने के बाद, रस्सियों की मदद से विमान को सतह पर लाया गया। इसके बाद विमान को नाव के सहारे किनारे तक खींचा गया, जहां से क्रेन की सहायता से इसे बाहर निकाला गया।
विमान के मलबे को उस जगह से करीब 600 मीटर की दूरी पर पाया गया, जहां कैप्टन के जूते मिले थे। यह जानकारी विमान के मलबे की स्थिति के बारे में सोनार यंत्र के डेटा से प्राप्त हुई, जिसमें बताया गया कि विमान पानी में उल्टा पड़ा था और उसके टायर ऊपर की ओर थे।
सोनारी एयरपोर्ट पर विमान की जांच
विमान को बाहर निकालने के बाद, नौसेना के दल ने “भारत माता की जय” के नारे लगाए और विमान के पुर्जों को अलग कर ट्रक में लोड किया गया। इसे जांच के लिए जमशेदपुर के सोनारी एयरपोर्ट ले जाया गया। यहां पर विमान की विस्तृत जांच की जाएगी ताकि हादसे के कारणों का पता चल सके।
हादसे में क्या हुआ था?
20 अगस्त को जमशेदपुर के सोनारी एयरपोर्ट से डिप्टी चीफ फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर जीतशत्रु आनंद और ट्रेनी पायलट शुभ्रोदीप दत्ता ने अल्केमिस्ट एविएशन के ट्रेनी विमान से उड़ान भरी थी। हालांकि, उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद विमान लापता हो गया। प्रारंभिक जानकारी में यह बताया गया था कि विमान की इमरजेंसी लैंडिंग पटमदा क्षेत्र में हुई थी। लेकिन बाद में चांडिल डैम के पास के एक ग्रामीण ने विमान के पानी में गिरने की सूचना दी, जिसके बाद सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया।
इस दुखद हादसे में ट्रेनी पायलट और कैप्टन की मृत्यु हो गई थी। दोनों के शव 2 दिन बाद चांडिल डैम से बरामद किए गए थे। विमान को डैम की गहराई से निकालने के बाद अब हादसे के कारणों की जांच की जा रही है।