सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और दो राज्यों, पश्चिम बंगाल और केरल के राज्यपालों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। पश्चिम बंगाल और केरल सरकारों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय और दोनों राज्यपालों के सचिवों को नोटिस जारी किया।
इन याचिकाओं में कई विधेयकों को लंबे समय तक लंबित रखने, मंजूरी न देने, या उन्हें राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने के राज्यपालों के फैसलों को चुनौती दी गई है। सुनवाई के दौरान केरल की ओर से वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल ने कहा कि वे विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए भेजने के राज्यपाल के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और जयदीप गुप्ता ने बताया कि जब भी मामला सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध होता है, राज्यपाल के कार्यालय की ओर से विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है।
मार्च में केरल सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के कार्यालय की ओर से चार विधेयकों को अनिश्चित काल तक लंबित रखने और बाद में उन्हें राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखने की कार्रवाई के खिलाफ अपील की थी। इससे पहले, तमिलनाडु सरकार ने भी विधानसभा द्वारा पारित महत्वपूर्ण विधेयकों में देरी के लिए राज्य सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल की ओर से वकील संजय बसु ने जून में एक बयान जारी कर कहा था कि राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार करना संविधान के अनुच्छेद 200 का उल्लंघन है।