सुप्रीम कोर्ट ने कहा शादी टूटने का मतलब जीवन खत्म हो जाना नहीं होता
Published on February 22, 2025 by
Vivek Kumar

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी टूटने का मतलब यह नहीं होता कि जीवन खत्म हो चुका है। पति-पत्नी के बीच विवाद के मामले में फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओका की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि लड़के और लड़की को शांतिपूर्वक रहते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। पीठ ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए दंपति को तलाक की अनुमति दे दी और इस विवाद से जुड़े 17 मामले भी खत्म कर दिए।
पीठ ने मई 2020 में हुई शादी को भंग कर दिया। पति-पत्नी ने एक-दूसरे के खिलाफ कुल 17 मामले दायर किए थे। जिनमें प्रताड़ना सहित अलग-अलग मामले शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 17 मामले खत्म करते हुए दोनों को आगे बढ़ने की सलाह दी है। आमतौर पर तलाक के मामलों की सुनवाई परिवार न्यायालय में होती है।
यहां पति-पत्नी को आपसी सहमति से तलाक लेना पड़ता है या एक-दूसरे के खिलाफ आरोप साबित करने पड़ते हैं। इसमें कम से कम छह महीने का समय लगता है। सर्वोच्च अदालत ने कहा-दोनों पक्ष युवा हैं। उन्हें अपने भविष्य की ओर देखना चाहिए। अगर शादी विफल हो गई है तो यह दोनों के लिए जीवन का अंत नहीं है। उन्हें आगे देखना चाहिए और एक नया जीवन शुरू करना चाहिए। अदालत ने कहा कि दम्पति से अनुरोध है कि वे अब शांतिपूर्वक रहें और जीवन में आगे बढ़ें। अदालत ने इसे उन दुर्भाग्यपूर्ण मामलों में से एक बताया, जहां शादी के एक साल के भीतर ही पत्नी ने अपने पति और ससुराल वालों पर लगातार उत्पीड़न का आरोप लगाया। शादी की सालगिरह से पहले ही पत्नी को अपनी ससुराल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।