केंद्रीय बजट 2024-25: शिक्षा मंत्रालय के बजट आवंटन में कमी

सरकार ने 2024-25 के लिए शिक्षा मंत्रालय को पिछले वित्तीय वर्ष के संशोधित बजट की तुलना में सात प्रतिशत कम धनराशि आवंटित की है। इस बजट में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के आवंटन में मामूली बढ़ोतरी हुई है, जबकि उच्च शिक्षा विभाग के बजट में 16 प्रतिशत से अधिक की कमी की गई है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश किए गए बजट में शिक्षा मंत्रालय के लिए कुल 1,20,627 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की है, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित बजट 1,29,717 करोड़ रुपए से लगभग 9,090 करोड़ रुपए कम है। यह कमी मंत्रालय के लिए एक बड़ा झटका है, खासकर जब शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विस्तार की मांग बढ़ रही है।

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग:

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को 73,008.10 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष के संशोधित बजट 72,473.80 करोड़ रुपए से 0.73 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, यह वृद्धि मामूली है और विभाग की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त हो सकती है।

उच्च शिक्षा विभाग:

उच्च शिक्षा विभाग को 47,619.77 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित बजट 57,244.48 करोड़ रुपए से 16.81 प्रतिशत कम है। यह कमी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विस्तार के प्रयासों को बाधित कर सकती है।

समग्र शिक्षा अभियान:

समग्र शिक्षा अभियान को 37,101 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष के संशोधित बजट 33,000 करोड़ रुपए से 12.42 प्रतिशत अधिक है। इस अभियान में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए), राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान (आरएमएसए), और शिक्षक शिक्षा (टीई) की तीन योजनाएं शामिल हैं।

समग्र दृष्टिकोण:

केंद्रीय बजट 2024-25 में शिक्षा मंत्रालय के लिए आवंटन में सात प्रतिशत की कमी से यह स्पष्ट होता है कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में वित्तीय संसाधनों को सीमित कर रही है। जहां एक ओर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को मामूली बढ़ोतरी मिली है, वहीं दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग को काफी कम धनराशि आवंटित की गई है। समग्र शिक्षा अभियान के लिए बजट में वृद्धि अवश्य हुई है, लेकिन समग्र रूप से शिक्षा मंत्रालय को आवंटित बजट में कमी चिंताजनक है।

यह कमी ऐसे समय में आई है जब शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विस्तार की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसे में यह देखना होगा कि सरकार इस कमी को कैसे पूरा करेगी और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के अपने वादों को कैसे पूरा करेगी।

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