अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद और उसके साथियों, वालिद बिन अताश और मुस्तफा अल-हौसावी पर कोई रहम नहीं दिखाने का निर्णय लिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इन आरोपियों के साथ किए गए समझौते को रद्द कर दिया है, जिससे उनकी मौत की सजा बहाल कर दी गई है। यह फैसला उस समय लिया गया जब दो दिन पहले ही एक समझौते की घोषणा हुई थी, जिसमें मौत की सजा को समाप्त करने की बात कही गई थी। इस समझौते के खिलाफ मारे गए लोगों के परिजनों ने आक्रोश व्यक्त किया था।
खालिद शेख मोहम्मद की पृष्ठभूमि
खालिद शेख मोहम्मद को 2003 में पाकिस्तान में गिरफ्तार किया गया था और उसे अमेरिकी जांच एजेंसी सीआईए की एक गुप्त जेल में रखा गया था। इस जेल में उनसे पूछताछ की गई थी। 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमलों के दौरान न्यूयॉर्क शहर की जुड़वां गगनचुंबी इमारतें ध्वस्त हो गई थीं और लगभग तीन हजार लोग मारे गए थे।
याचिका समझौते की रद्दीकरण की प्रक्रिया
क्यूबा के ग्वांतानामो बे में सैन्य आयोग ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर जनरल सुसान एस्कैलियर द्वारा खालिद शेख मोहम्मद और उसके दो सहयोगियों के साथ दलील समझौते को अंतिम रूप दिया था। इसके तहत आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने इस समझौते को रद्द करते हुए मौत की सजा को बहाल कर दिया। इस निर्णय के साथ, उन्होंने ब्रिगेडियर जनरल सुसान एस्कैलियर के पूर्व के फैसले को खारिज कर दिया।
पीड़ितों के परिवारों की प्रतिक्रिया
पीड़ितों के परिवारों ने इस समझौते की आलोचना की थी और आरोपियों को राहत देने के फैसले का विरोध किया था। कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने बाइडेन प्रशासन को इस निर्णय के लिए दोषी ठहराया। बाइडेन प्रशासन ने कहा है कि उन्हें इस डील से जुड़ी बारीकियों की जानकारी नहीं थी।
मुकदमे में देरी
खालिद और उसके सहयोगियों के खिलाफ सैन्य कानून के तहत मुकदमे में देरी हुई है, क्योंकि 2000 के दशक में सीआईए की गुप्त जेल में प्राप्त साक्ष्यों को अदालत में प्रामाणिकता देने में समय लगा। मुकदमा 11 जनवरी, 2021 को शुरू होना था, लेकिन दो न्यायाधीशों के इस्तीफे और कोरोना महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
अमेरिका की ओर से उठाए गए इस कदम ने 9/11 हमलों के दोषियों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।