विश्वकर्मा पूजा पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है, विशेषकर यूपी, बिहार, बंगाल और झारखंड में। इस वर्ष यह पूजा 17 सितंबर, सोमवार को आयोजित की जाएगी। इस दिन सृष्टि के निर्माण देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। वे ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र माने जाते हैं। इस दिन मजदूर और मशीनों पर काम करने वाले लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा और आराधना करते हैं।
पूजा का शुभ मुहूर्त:
इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन रवि योग के तहत पूजा की जाएगी। शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- रवि योग की शुरुआत: सुबह 6:07 बजे
- रवि योग का समापन: दोपहर 1:53 बजे
पूजा का यह समय कारखानों, फैक्टरियों और दुकानों में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान औजारों की पूजा की जाती है और पूजा के बाद इनका इस्तेमाल नहीं किया जाता। तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा को आराध्य मानते हैं और इस दिन सभी मशीनों और कलपुर्जों की पूजा की जाती है।
भगवान विश्वकर्मा के बारे में:
शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को वास्तुकार और शिल्पकार माना गया है। उन्होंने इंद्रपुरी, द्वारका, हस्तिनापुर, स्वर्गलोक, लंका और जगन्नाथपुरी जैसे प्रमुख स्थल बनाए थे। कहा जाता है कि उन्होंने भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र भी बनाया था। इसलिए विश्वकर्मा जयंती पर शस्त्रों की पूजा भी की जाती है।
सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश:
इस बार सूर्य 16 सितंबर, सोमवार की शाम 7:29 बजे कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए कुछ लोगों के बीच पूजा की सही तिथि और मुहूर्त को लेकर भ्रम है।
पूजा के आयोजन की जगह:
विश्वकर्मा पूजा पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन यूपी, बिहार, बंगाल और झारखंड में इसकी धूमधाम विशेष रूप से देखने को मिलती है। इस दिन तकनीकी क्षेत्र से जुड़े लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा के बाद प्रसाद चढ़ाते हैं और उसे वितरित करते हैं।